Friday 16 September, 2011

एशिया का वेनिस पटाया



भगवान स्वरूप कटियार
कभी समुद्र में गहरे उतरे हैं आप ? मौका मिले तो जरूर ऐसा कर के देखिए . अथाह लगने वाली गहराई में हम ज्यों ज्यों धसते चले जाते हैं , हर पल एक नयी दुनियां सामने आती जाती है . जहां सूरज की किरणें नहीं पहुंचती वहां एक समूची दुनियां सांस ले रही होती है . जल का अपना जीवन होता है . जीवन को जितना हिलाइए डुलाइए उसके सत्य ,तथ्य और कथ्य की वास्तविक्ताएं सतह पर तैरने लगती हैं जो चुप्पी लगाए हमारे दिलों की तह में बैठे रहती है . मुझे गत २२जून से ७ जुलाई(२॰११) के अपने दक्षिण -पूर्व एशिया की अपनी भ्रमण यात्रा के दौरान थाइलैण्ड में पटाया बीच का भ्रमण करते हुए कुछ ऐसी ही अनुभूति हुई . गत वर्श जब २॰१॰ में अपनी योरुप यात्रा के दौरान जब मैं वेनिस गया तो वेनिस के सौन्दर्य को देख कर ऐसा लग रहा था मानों कोई सपना देख रहे हों . एक ऐसा शहर जहां कोई मोटर वाहन नहीं . जहां कोई धुआं धक्कड़ नहीं और ना ही किसी तरह का प्रदूषण . आने जाने का साधन पैदल या छोटी छोटी गलीनुमा नहरों में बोट से ही आप दफ्तर , बाजार या घर आ जा सकते हैं . पानी पर तैरता एक खुबसूरत षहर . चारो तरफ फैली स्वच्छ पारदर्षी नीले रंग की एक विषाल जलराषि के मध्य एक आइलैण्ड (छोटा सा द्वीप ).मुझे यह भी बताया गया था कि इससे सुन्दर जगह दुनिया में कहीं नहीं है . दुनियां के महान नाविक और समुद्री यात्री कोलम्बस ने अपनी समुद्री यात्रा वेनिस से ही षुरू की थी .पर पटाया में नीले रंग के अन्तहीन् हिन्द महासागर की चिघ्घाड़ मारती ऊंची ऊंची लहरों पर हाई स्पीड से दौड़ती मोटर बोटों और समुद्री जहाजों को देख कर लगा जैसे यह एक अपने तरह का वेनिस है . पटाया को एषिया का वेनिस कहना कोई ज्यादती नहीं होगी . पटाया बीच दुनिया के खुबसूरत बीचों में से एक है . चारो ओर घने घने पाम और नारियल के बृक्षों से घिरा, उठती गिरती ऊंची ऊंची लहरों वाला नीले हिन्द महासागर की रेत में मीलों फैला शैलानियों का मेला , ऐसा लगता मानो पूरी दुनियां किसी उत्सव को मनाने यहां सिमट आयी हो . आराम कुर्सियों पर लेटे षैलानी ऐसा लगता मानों जीवन का उत्स लूटते जीवन का उत्सव मना रहे हों . स्त्री ,पुरुष बच्चे सब एक ही रंग में रंगे और एक रस में डूबे .वह था नैसर्गिक सौन्दर्य का रंग और रस . वहंा उम्र का दायरा बेमानी था .वाटर स्पोर्ट्स एन्ज्वाय करते छोटे छोटे बच्चे लगता जैसे पानी के बगीचे में सुन्दर रंगीन फूल खिले हों . ठंडी हवाएं बदन को छू कर माहौल को और रोमैंटिक बना देती हैं .
बैकांक एयरपोर्ट से पटाया का सफर लगभग २॰॰कि॰मी॰ का है जिसे कोचवैन से तय करने में ढाई-तीन घंटे लगे.इस ढाई घंटे के सफर में थाइलैण्ड के धान के खेतों की हरियाली और खेतों में नारियल और पाम की पत्तियों से बुने हैट लगाये किसान काम करते दिखे . वे इस सच्चाई की ओर इसारा कर रहे थे कि खेत और किसान के बिना कोई भी सभ्यता कभी पूर्ण नहीं हो सकती है । बल्कि सच तो यह है कि सभ्यता कि विकास यात्रा खेत और किसान से षुरू होकर खेत और किसान पर ही समाप्त होती है . थाइलैण्ड का चावल अपनी क़्वालिटी के लिए पूरी दुनियां में मशहूर है यहां पाम और नारियल के पेड़ो की हरियाली देखते ही बनती है .थाइलैण्ड चावल का निर्यातक देष है . पटाया समुद्र के मध्य बसा एक छोटा द्वीप जैसा है. लगता था मानों ऊंची उंची लहरों वाले विषाल जलराशि समेटे हिन्द महा सागर एक पिता की तरह अपनी बाहें फैलाये हमारा इन्तजार कर रहा था और कह रहा था आओ मेरी संतानों मेरी गोद में समा जाओ . तुम्हारे अवसाद ,तनाव और दुखों की सारी गर्मी खीच लूंगा . मैं सोच रहा था कि किसी के पिता बहादुर तो हो सकते है़ं पर इतने डरावने भी ?.बेषक पटाया में हिन्द महासागर जितना आकर्शक था उतना ही डरावना भी . पर सुखद आष्चर्य यह है कि हम इस डरावने विषाल जलराषि वाले ऊंची ऊंची लहरों पर हम १२॰कि॰मी॰प्रति घंटे की स्पीड से मोटर बोट से दौड़े . मानों पानी पर तेज दौड़ते घोड़े की सवारी कर रहे हों . नीले रंग के स्व्च्छ जलराशि वाला हिन्द महासागर इतना दिलकश कि नजरे हटने का नाम नहीं लेती. लहरों पर सैर करने का वह खुशनुमा यादगार पल मेरी जिन्दगी की बहुमूल्य धरोहर बन गया. अम्बै्रलों के साये में आराम कुर्सियों पर आराम फर्माते दुनिया भर के हजारों षैलानी अपनी निजी जिन्दगी को अपनी महबूबा की तरह बाहों में समेटे जिन्दगी का लुत्फ लेते धरती पर स्वर्ग उतर आने का अहसास दिला रहे थे . इस यात्रा में मैने अपने ट्रेनर की मदद से अन्डमान ओसिन में अंडर वाटर वाक किया . समुद्र के अन्दर पानी में लगभग सौ फुट की गहराई में चलते हुए लग रहा था मानों हम किसी स्वप्नलोक में घूम रहे हों . हमारे आसपास छोटी-छोटी रंगीन मछलियां तथा अन्य समुद्री जीव बहुत सुन्दर लग रहे थे . छोटी -छोटी पहाड़ी नुमा रंगीन समुद्री बनस्पतियों के ढेर खुबसूरत गुलदस्ते जैसे दिखते थे . पानी के अन्दर एक इतनी बड़ी खुबसूरत स्वतंत्र दुनिया भी है इसके बारे में पढ़ा और सुना जरूर था पर देखा कभी नहीं था. वहां हम अपने ट्रेनर के साथ तीन साथी थे जो आपस में एक दूसरे को देख तो सकते थे और स्पर्ष भी कर सकते थे पर एक दूसरे को सुन नहीं सकते थे . हम इसारों से एक दूसरे को समझ और समझा रहे थे . समुद्र की गहराई में सूखी रेत को हांथ में लेकर एक अजीब अनुभूत हो रही थी . दुनियां में इतना नैसर्गिक सौन्दर्य देखने को है कि यदि उसी को देखने को अपने जीवन का लक्ष्य बनालें तो आपसी ईर्शा द्वेश और झगड़ो के लिए वक़्त ही ना मिले . सच में लगभग एक घंटे समुद्र की आन्तरिक दुनियां के सान्निध्य में जीना जीवन के अमूल्य पल के रूप में सदैव स्मरण रहेगा . इसी तरह स्पीड मोटर बोट में बंधे पैराशूट के जरिए समुद्र में उड़ान भरना बेहद रोमांचक था और खतरनाक भी . पर असली जिन्दगी इन्हीं खतरों के बीच होती है जो हिम्मतवालों की किस्मत में ही होती है .बगैर दांव पर लगाये कुछ भी हासिल नहीं होता है .
पटाया, थाइलैण्ड का कमाऊ बेटा है जहां लाखों सैलानी दुनियां भर से आकर समुद्र के नैसर्गिक सौन्दर्य का सुख भोगने आते हैं . रात में रोशनी में नहाया पटाया बीच अमेरिका के लास बेगास जैसा सुन्दर लगता है . पटाया ही नहीं पूरा थाईलैण्ड अपनी सेक्स टूरिज्म की इमेज से मुक्त हो चुका है . थाई सरकार ने इसके लिए सख्त कानून बनाकर इस पर नियंत्रण पाया है . सेक्स टूरिज्म थाईलैण्ड में राजस्व अर्जित करने का मुख्य स्रोत है , यह एकदम झूठ और मिथ्या है . थाईलैन्ड विश्व व्यापार ,बैकिंग और अपने बन्दरगाहों के जरिये देश के अकूत सम्पदा कमाता है जो आय का मुख्य स्रोत है .बैंकाक और पटाया दोनों ही विश्व व्यपार और समुद्री परिवहन के बड़े केन्द्र है़ . थाईलैण्ड दुनिया बड़े चावल उत्पादक और निर्यातक देषों में से एक है . थाईलैण्ड का चावल पूरी दुनियां में मशहूर है . पटाया में जेम्स फैक्ट्री है जहां खानों से हीरे निकाल कर उन्हें साफ और तराशकर पूरी दुनियां में निर्यात किया जाता है . जेम्स फैक्ट्री में एक जेम्स गैलरी और जेम्स मार्केट भी है . जेम्स गैलरी थाईलैण्ड के हीरा उद्योग का सचित्र सजीव इतिहास है जो शिक्षाप्रद और प्रेरणाप्रद दोनों है . जेम्स मार्केट में हीरों की खरीद होती है जहां दुनियां भर के हीरा व्यापारी और शैलानी हीरे खरीदकर लेजाते हैं .बेशक यह एक मंहगा व्यवसाय है पर हीरों के दीवानों की भी एक दुनियां है . सम्राट अषोक ने दक्षिण - पूर्व एशिया में बौध्द धर्म का प्रसार किया और वहां के लोगों को बुध्द की करुणा , प्रज्ञा और जरूरत से अधिक संग्रह ना करने के उपदेष ने इतना प्रभावित किया कि उसे थाइलैण्ड के लोगों ने जीवन में पूरी तौर पर आत्मसात कर लिया है . वे बुध्द से रष्मी तौर से नहीं बल्कि पूरे दिलोदिमाग से प्रेम करते हैं और हार्दिक श्रध्दा रखते हैं. थाईलैण्ड, थाई मसाज और थाई बाक्सिंग के लिए दुनियां भर में जाना जाता है . लगभग ७-८ करोड़ की आबादी वाला यह छोटा सा देष अपनी षालीनता और षिश्ट व्यवहार के कारण दुनियां के षैलानियों को अपनी ओर आकर्शित करता है . थाईलैण्ड का पुराना नाम स्याम है और हाथियों के लिए भी थाईलैण्ड की अपनी अलग पहचान है . हांथी माल ढोने का महत्वपूर्ण परिवाहन का साधन भी है . थाईवासियों का पर्यावरण और वन्यजीव प्रेम अनूठा है . थाईलैण्ड की चार राजधानियां रही हैं . बैंकाक चौथी राजधानी है . पहली राजधानी सुखोथाई , दूसरी राजधानी अयुद्धया और तीसरी राजधानी थनपुपली रही है . बैंकांक जो थाईलैण्ड की वर्तमान राजधानी है सिंगापुर की तरह विष्व व्यापार का महत्वपूर्ण केन्द्र है . नई और पुरानी दिल्ली की तरह ओल्ड और न्यू बैंकाक भी है . यहां आटो रिक्सा को टुक टुक कहा जाता है . थाईवासी अपनी करैंसी बाट का बहुत सम्मान करते हैं क्योंकि उसमें राजा की तस्वीर होती है. उस पर पैर रखना अपराध माना जाता है . थाईलैण्ड भी एक लोकतांत्रिक देष है जहां पार्लियामेन्ट और सुप्रीमकोर्ट जैसी वैधानिक संसथाएं है . वहां भी प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल के साथ देश की शासन व्यवस्था का संचालन करता है . थाई लोकतंत्र एक लम्बे संघर्ष के दौर से गुजरा है . सन १९३२ में ब्रिटिश माडल पर संवैधानिक राजतंत्र के आभ्युदय के बाद थाईलैण्ड अपने लोकतांत्रिक अस्तित्व केलिए संघर्ष रत रहा . वर्श २॰॰६ में भ्रश्ट प्रधानमंत्री तक्सिन शिनावात्रा के तख्ता पलट के बाद वहां दो राजनैतिक संघठन पी ए डी (प्यूपुल एलाइंस फोर डेमोक्रेसी ) और यू डी डी (यूनाइटिड फ्रन्ट फौर डेमोक्रेसी अगेंन्स्ट दिक्तेतार्शिप) उभर कर आये . पी डी को पीली शर्ट और यू डी डी को लाल शर्ट के नाम से लोकप्रियता मिली . थाईलैण्ड में चक्रि वंश का वारिस ही राजा होता रहा है यह परम्परा अभी भी कायम है.थाईलैण्ड का लोकतंत्र निरंतर परिपक्व हो रहा . थाईवासियों का व्यवस्था के सतत बदलाव में भ्रपूर यकीन है इसीलिए कहा जाता है कि थाईलैण्ड क े४५ वर्शों् के लोकतांत्रिक जीवन में४॰ बार् चुनाव हुए . वे किसी भी दुर्व्यावस्था को सहन करते रहने में यकीन नहीं रखते हैं . ऊपर नीचे लाल सफेद तथा बीच में चौड़ी नीली पट्टी वाला राष्ट्रीय ध्वज थाइलैण्ड की शान है जिसे वे अपने केशरिया रंग के धर्म ध्वज के साथ लगाते हैं . बौध्द धर्म वहां का राष्ट्रीय धर्म पर हर किसी को अपने मजहब की आजादी है और उसका समान स्तर और सम्मान है .
थाईलैण्ड के लोग खुशमिजाज स्वभाव के होते हैं .वे दुख में भी खुश रहने और खुश दिखने में यकीन रखते हैं . इसलिए वहां हमेषा उत्सवी माहौल रहता है . वहा थियेटर बहुतायत संख्या में हैं जहां सांस्कृतिक आयोजन निरंतर दिन और रात में चलते रहते हैं . पटाया का टिफिनी षो और बैकांक में एलीफैन्ट शो दर्शकों को बेहद भाता है . भारतीय फिल्मों के गाने वहां षो में अवष्य सुनने को मिल जाते हैं . बैंकाक में ४॰॰ से अधिक छोटे - बड़े बौध्द मन्दिर है़ और हिन्दू मन्दिर भी हैं . यहां २१ एकड़ क्षेत्रफल में फैला स्लीपिंग बुध्दा का विशाल मन्दिर है जिसमें बुध्द की प्रतिमा की लम्बाई ६७ मीटर है .इसी तरह गोल्डेन और राइजिंग बुध्दा के मशहूर भव्य मन्दिर हैं . बैंकाक षहर के मध्य में एक लोकतंत्र का भव्य स्मारक है जो थाईवासियों की लोकतंत्र में अटूट आस्था का प्रतीक है . यहां एक ऐसा चिड़िया घर है जहां टाइगर ,शेर , तेन्दुआ ,भालू ,जिराफ जैसे सभी जानवर कट्घरों या बाड़ों में नहीं बल्कि खुले आसमान के नीचे खुले मैदान में रहते हैं . यहां दर्षकों कोन बन्द वैन में घूमना पड़ता है . यहां भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी के नाम पर इन्दिरा स्क्वायर भी है जहां शापिंग माल से लेकर होटल और रेस्ट्रां भी हैं . थाईलैण्ड की ७५ प्रतिषत आबादी थाई है जो देष के उत्तर , दक्षिण तथा मध्य क्षेत्र से आते हैं . षेश आबादी में १४ प्रतिशत चीनी हैं तथा षेश में मलई ,खेमेर लाओस म्यामार आदि देषों के लोग रहते है़ .थाईलैण्ड अपने नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ साथ अपनी शालीनता के लिए भी दुनियां के शैलानियों को अपनी धरती पर खींच लाता है . बेषक पर्यटन थाईलैण्ड की आय का बहुत बड़ा स्रोत है . पटाया सचमुच एशिया का वेनिस है और यहां बहुत कुछ ऐसा भी है जो वेनिस में नहीं है . क्षेत्र का फैलाव अधिक होने के कारण होटल्स और बाजार अधिक समृध्द हैं .

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