samvedana
Sunday 21 November, 2010
मेरी मोक्ष
मेरा बोलना सदियों से कैद
किसी आवाज का मुक्त होना है |
मेरा लिखना धरती में दबे
सदियों पुराने यथार्थ के कंकाल को खोद कर
ज़मीं पर रख देने जैसा है
जो डरावना है और घिनौना भी |
किन्तु मैं समझ गया हूँ कि अब मेरा बोलना और लिखना ही मेरी मोक्ष है|
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