Saturday 25 December, 2010

बीहड़ में रास्ता बनाना


लिखना जब तक सामाजिक हस्तक्षेप का कार्य नहीं करता तब तक लिखना महज शब्दों का खेल है |लिखना बीहड़ में
राह बनाना तथा रेगिस्तान में फूल खिलाने जैसा दुष्कर काम है ,मगर यह काम जितना मुश्किल है उतना जरुरी भी |जमीनी सच्चाइयों से हासिल की गयी समझदारी लेखन की असली ताकत होती है |और यही ताकत समाज का चेहरा
बदलने का कारगर हथियार भी बनता है |संसदीय विपक्ष जब पोला हो गया हो और पत्रकारिता जब सत्ता की चिलिम भारती हो तब प्रतिरोध का लेखन एक उम्मीद बनता दिखता है |दुश्वारियां बहुत है पर लड़ना ही एक विकल्प है |इस
लड़ाई में शब्द और हौसला ही हमारेसच्चे साथी है और कलम कारगर हथियार |

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