Friday 10 December, 2010

अंतर्कातिका एक नया सपना


मेरी कोई भी यात्रा पूरी होने के पहले एक सपना होती है |जिंदगी क़ी एक लम्बी यात्रा भी इन्ही सपनों से बनती है |
कुदरत तो मेरे लिए माँ के दामन क़ी तरह है जिसे मैं कभी नहीं छोड़ना चाहता |डा.जसवंत सिंह का दिया हुआ अभी
मेरी आखों में पल रहा है |अन्तार्कातिका बर्फ का खजाना ,अनोखे जीव जंतुओं घर ,तूफानी सर्द हवाओं के साथ निर्जनता का सौंदर्य समेटे यह समंदर मेरे दिल में हिलोरे ले रहा है |अनात्र्कातिचा पहुचना मेरे जीवन का अभीष्ट है |

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