Tuesday 25 January, 2011

बेहमई अपने समय का एक डरावना सच







१४ फरबरी १९८१ यानि आज से ठीक तीससालपहलेकानपूर जिले जो अब रमाबाई नगर हो गया है के बेहमईनाम के इस गाँव में फूलनदेवी नाम की महिला डकैत ने दिन दहाड़े २१ ग्रामवासियों को मार कर पूरीदुनिया कोथर्रा दिया.गत २२ जनवरी २०११ को मैं अपने गाँव के ४अन्य साथियों के साथ बेहमई में था .जमुना के बीहड़ों में
बसे कुल ४०० आबादी के इस गाँव में गत तीस वर्ष के इतिहास से हाँथ मिला रहा था .बेहमई अब तरक्की की राह
पर है .गाँव तक पक्की सड़क है ,बच्चों की पढाई के लिए स्कूल खुल गए हैं पर सरकारी स्कूलों पढाई का हाल सभी
जानते हैं .जमुना और जमुना का बीहड़ फूलन का शरणस्थल और कार्यस्थल रहा .आज जमुना में जे सी बी मशीनों से बालू ,मौरंग निकालने व्यवसाय फलफूल रहा है .जमुना के उस पार उरई [जालौन] पड़ता है .पीपे का पुल पार कर या नावों से उस पार लोग जाते हैं .उ .प्र.सर्कार एक पक्के पुल का निर्माण करा रही है .इसके बन जाने से यह बीहड़ इलाका कालपी- जालौन से सीधे जुड़ जाये गा .पुल का काम तेजी से चल रहा है .बेहमई की इस यात्रा
में हमारे साथ थे रामदत्त एडवोकेट ,सिद्धार्थ प्रधान ,सर्वेश कटियार पूर्व बी.डी .सी .,गौतम मीडियाकर्मी और मै स्वयं लेखक कवी और एक्टिविस्ट .बेहमई गाँव के निवासियों से मिलते हुए और बात करते हुए ऐसा लग रहा था कि
इतिहास हमारे सामने खड़ा हो .उस घटना पर बात करने में किसी को कोई हिचक या संकोच नहीं लगता है .बेहमई
जो आज दुनिया के नक्से में दर्ज है हमारे सामने खड़ा था जिन्दा इतिहास के टुकडे की तरह .

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