Tuesday, September 17, 2013

                                                 फाके  मस्ती के  वे दिन
                                                                                         भगवान स्वरूप कटिया र 
  विजय राय एक ऐसा नाम है जो ¨ हमारी वैचारिक मित्रों  की सूची में आज से लगभग 20-25 साल पूर्व दर्ज हुआ था और तबसे हमारी जो¨ड़ी एक दूसरे का  नाम का पर्याय बन गयी । सूचना विभाग में हमारी मैत्रिक जोड़ी इस स्तर तक पापुलर थी की विजय राय की जानकारियो   का स्रो¨त मुझे औ र मुझसे सम्बन्धित हर जानकारी का स्रो¨त विजय राय क¨ माना जाता था अ©र बाद में इसका विस्तार विभाग के  बाहर तक हुआ जो ¨ आज तक कायम है । आज जब किसी से बहुत दिन¨ं में मुलाकात ह¨ती है त¨ वह मेरे बारे में बात करते करते विजय राय क¢ बारे में बात करना नहीं भूलता अ©र आखीर में पूंछता है हां,राय साहब कैसे हैं? आप क¨ त¨ पता ह¨गा ही अ©र मैं भी उसे पूरे भर¨से से आष्वस्त करता कि बिल्कुल ठीक हैं अ©र हम लगातार एक दूसरे क¢ सम्पर्क में भी हैं ़यह बाकया मेरे अजीज मित्र अनिल सिन्हा अ©र अजय सिंह क¢ साथ अक्सर ह¨ता था अ©र वीरेन्द्र यादव जी भी क¢ साथ भी ़अ©र भी तमाम नाम है ज¨ हम द¨न¨ं क¨ द¨ अभिन्न मित्र¨ं की जुगुल ज¨ड़ी क¢ रूप में देखते रहे हैं अ©र यह हम द¨न¨ं क¢ लिए भी खुषी अ©र फक्र की बात है ़यह क¨ई परिकल्पना मात्र नहीं बल्कि एक यथार्थपरक सच्चाई है अ©र उसक¢ पीछे है हम द¨न¨ं का सामूहिक संघर्श का एक लम्बा सफर भी है ज¨ हम द¨न¨ं ने मिल कर एक जुनूनी हद तक किया जिसकी यादें बेहद र¨मांचकारी हैं ़इसक¢ अतिरिक्त हमारी द¨स्ती का आधार रहा हमारे व्यक्तित्व¨ं की पारदर्षिता,वैचारिक साम्यता,साहित्यिक-संास्कृतिक समझ अ©र रुचियां एवं गहन संवेदनषीलता ़हम द¨न¨ं क¢ लेखन क¢ क्षेत्र भले ही विविध् रहे ह¨ं पर मूलतः हम द¨न¨ं कवि हैं अ©र कविता हम द¨न¨ं का खास षगल रहा है अ©र षायद हमारी इस साहित्यिक प्रवृत्ति ने भी हम द¨न¨ं की मैत्री क¨ प्रगाढ़ किया ़एक सबसे महत्वपूर्ण बात हम ल¨ग¨ं क¢ बीच यह रही कि कभी वैचारिक टकराव नहीं हुआ पर इसका मतलब नहीं है कि हममें असहमतियां नहीं रहीं, हमेषा रहीं अ©र आज भी ह¨ सकती हैं पर खास बात यह है हम एक दूसरे क¨ अपने सार्थक अ©र रचनात्मक स¨च क¢ तकर्¨ं से कनविंस कर लेते थे ़हमारे पारस्परिक विष्वास अ©र भर¨स¨ं का स्तर यह ह¨गया था कि कुछ विशय¨ं पर मेरा मत है त¨ गलत नहीं ह¨गा सही ही ह¨गा अ©र यही मत राय साहब क¢ बारे में मेरा था ़हम द¨न¨ं का रसायनषास्त्र आपस में इतना इतना घुलामिला था कि भाव संक¢त ही अभिव्यक्ति क¢ लिए काफी ह¨ते थे ़विचार,राजनीति अ©र सामाजिक विशय हमारे पाले में रहते अ©र राय साहब मुझे इसका विषेशज्ञ मानते थे जबकि ऐसा कुछ था नहीं उसी तरह मैं भी राय साहब क¨ साहित्य, कला अ©र संकृति का मर्मज्ञ मानता था अ©र उनकी पकड़ भी इन विशय¨ं हमेषा अच्छी रही है ़पर हम एक दूसरे क¢ क्षेत्र में बाकायदे हस्तक्षेप करते थे ़सबसे महत्वपूर्ण बात थी एक दूसरे क¢ विचार¨ं क¢ प्रति गहरा सम्मान जिससे हम हम ब©ध्दिक प्रतिद्वन्दी क¢ बजाय हमेषा ब©ध्दिक मित्र बने रहे ़ हमारी मैत्री की जन्मस्थली प्रषासनिक सेवा प्रषिक्षण एक¢डमी नैनीताल है जहां हम द¨न¨ं ने वर्श 1988-89 में द¨ हफ्ते का प्रषिक्षण ग्रहण किया अ©र वहां साथ-साथ एक कमरे में रहे ़वैचारिक अ©र व्यावहारिक विमर्ष का एक अन¨खा अवसर था जहां हम एक दूसरे क¢ सामने खुले अ©र एक दूसरे क¨ हर दृश्टि से जान अ©र समझ सक¢ साथ ही जीवन क¢ तमाम पक्ष¨ं अ©र आयाम¨ं क¨ भी जान अ©र समझ सक¢ ़यहीं से हमारी स्थायी मैत्री की बुनियाद पड़ती है ज¨ धीरे-धीरे एक खुबसूरत घर©ंदे की षक्ल लेलेती हैं जिसकी ठंडी छांव में हमने वेफिक्री अ©र फाॅक¢ मस्ती क¢ वे दिन बितायें जिनकी याद करक¢ आज भी किसी की रूह कांप जायेगी अ©र र¨ंगटे खड़े ह¨ं जायेंगे ़पर हमारे लिए वे यादें आज भी उतनी ही र¨मांचकारी अ©र गर्व से भर देने वाली हैं ़राय साहब क¢ व्यक्तित्व उस हर व्यक्ति क¢ लिए एक रहस्य है जिसक¢ सामने वे खुले नहीं है ़उनकी स©म्यता अ©र विनम्रता बेषक उनक¢ व्यक्तित्व में चार चांद लगा देती है अ©र कम ब¨लना अ©र सटीक ब¨लना भी उनकी खासियत है ़हमेषा थ¨ड़ा रिजर्व सा रहते हैं इसलिए हर किसी क¢ साथ उनका समाय¨जन सम्भव नहीं ह¨ पाता ़यही परेषानी उन्हें उस समय नैनीताल प्रषिक्षण में जाने में आरही थी ़विभाग से लगभग 15 अधिकारी उस प्रषिक्षण में गये थे पर राय साहब जाने में कतरा रहे थे कि वहां किसक¢ साथ रहेंगे ़हमारे विभाग क¢ एक साथी उपाध्याय जी ने राय साहब क¨ समझाया कि कटियार साहब जारहें, आप इनक¢ साथ रहिये आपक¨ बेहद अच्छा लगेगा ़उपाध्याय जी हमारे साथ ही प्रकाषनब्यूर¨ं सह-सम्पादक क¢ रूप में कार्यरत थे अ©र उन्ह¨ंने षायद मुझे किसी हद तक समझ लिया ह¨गा षायद तभी वे मेरे बारे में राय साहब क¨ इतना आष्वस्त कर सक¢ ़तब तक मैं अ©र राय साहब महज विभागीय अधिकारी थे अ©र अ©पचारिक मुलाकात भी थी पर वह घनिश्ठता नहीं थे जिसे हम द¨स्ती की संज्ञा दे सक¢ं ज¨ आज है ़नैनीताल में हम द¨न¨ं ने एक दूसरे क¢ साथ रह कर न सिर्फ एन्ज्वाय किया बल्कि द¨स्ती की ताकत क¢ बल पर तमाम सृजनात्मक अ©र रचनात्मक सपने भी देख डाले जिनक¨ साकार करने हम द¨न¨ं ने अपनी आहुति दी अ©र संघर्श का अविस्मरणीय इतिहास रचा ़उस प्रषिक्षण दल क¢ कई साथी हमारे साथ आज नहीं हैं पर उस गु्रप फ¨ट¨ं में हम द¨न¨ं इतना युवा दिखते हैं कि लगता है की काष जिन्दगी वह बैकप हमारे पास ह¨ता त¨ उसे दुबारा जी सकते जिसे सिर्फ याद कर र¨मांचित ह¨ सकते हैं ़ कई बार स¨चता हूं कि हम द¨न¨ं एक कहानी क¢ एक ऐसे जीवन्त पात्र हैं जिसक¢ बड़े व्यापक आयाम हैं ़उसमें जीवन का हर पक्ष इतना साफ दिखता जितना ठहरे हुए पानी में किसी सुन्दरी का चेहरा या भ¨र की लालिमा का सुनहरा प्रतिबिम्ब ़पर सवाल है कि यह कहानी लिखे क©न ?हम द¨न¨ं विभाग में बुनियादी बदलाव का प्रतीक बन गये थे ़हर गलत चीज हम द¨न¨ं क¨ खलती त¨ उसक¢ लिए विचलित ह¨ जाते थे कि ऐसा क्य¨ं ह¨ रहा है ?जबकि विभाग क¢ अधिकांष ल¨ग यथास्थितिवाद क¨ अपनाते हुए रूढ्वादी ढंग चल रहे थे क्य¨ंकि बदलाव की जंग क¢ ज¨खिम उठाना हर किसी क¢ बस की बात नहीं है अ©र बदलाव चाहता भी क©न है ? हर क¨ई इस भ्रश्ट व्यवस्था में अपना हिस्सा अ©र अपनी जगह चाहता है ़इस बदलाव की जंग क¢ ज¨खिम से हम खुद भी वकिफ नहीं थे कि व्यवस्था अव्यव्स्था क¢ खिलाफ लड़ने वाल¨ं पर किस तरह वार करती है ़ यह त¨ जब भ¨गा तब पता चला ़सबसे मजेदार बात यह है कि बदलाव की इस मुहिम क¨ विभाग की युवा पीढ़ी बड़ी उम्मीद से हमारी अ¨र देख रही थी अ©र उच्च स्तर की न©करषाही क¢ लिए यही सबसे अधिक चिन्ता का विशय था ़कई हमारे बुजुर्ग कलीग स¨चते कि कटियार अ©र विजय राय विभाग में क्य¨ं क्रान्ति करना चाहते हैं अ©र क्य¨ं किसी क¢ फटे में टांग अड़ाते हैं ?़ज¨ क¨ई ज¨ कुछ कर रहा है गलत सही उसे करने दें अ©र अपनी सेटिंग करक¢ अपना लाभ देखें ़ऐसे त¨ यह दूसर¨ं का त¨ नुक्सान कर ही रहे हैं अपना भी नुक्सान करेंगे ़पहुंच वाले ल¨ग इन्हें जहुन्नुम में पहुंचा देंगे ़नयी नयी न©करी है ,कमीषन सीधे आये इसलिए न©करी क¢ दांवपेंच नहीं जानते अ©र यहां ल¨ग चप्पड़ रगड़ कर बाबू अ©र चपरासी से अधिकारी बने है जिसक¢ लिए उन्हें अपने घर की अस्मिता तक दांव पर लगायी है त¨ पैसा नहीं कमायेंगे भला ? अन्ततः हमने इस स¨च क¨ त¨ड़ा अ©र बदलाव अ©र प्रतिर¨ध की एक नयी परम्परा की षुरुआत हुई अ©र हर क¨ई अपने अधिकार¨ं क¢ लिए लड़ने लगा अ©र ल¨ग¨ं क¨ न्याय मिलने लगे ़पर इसक¢ लिए हमें विधान सभा से लेकर न्यायालय¨ं तक सच्चाई पहुंचानी पड़ी ़एक समय ऐसा भी था जब विधान सभा अ©र उच्च न्यायालय में सूचना विभाग का भ्रश्टाचार एक साथ बेनकाब ह¨ता था अ©र उसकी चीख मीडिया क¢ जरिये सर्वत्र गूंजती थी अ©र सुनते सुनते व्यवस्था क¢ कान पकने लगते थे ़अ©र अन्त में बदलाव आया अ©र गलत ल¨ग¨ं क¨ सजाएं तक हुईं पर इस सबक¢ लिए हम द¨न¨ं क¨ क्या क्या झेलना पड़ा ,किन किन यातनाअ¨ं से गुजरना पड़ा वह स्वयं में एक पूरे उपन्यास का विशय है ़पर इस पूरी जंग में हमारे परिवार हमारे साथ जिस मुस्तैदी से खड़े रहे उसक¢ लिए हमें अपने परिवार¨ं अ©र उन साथिय¨ं पर गर्व है ज¨ लड़ाई हमारे साथ रहे अ©र विचलित नहीं हुए ़अ©र सच यह है कि हम अपनी वैचारिक ताकत अ©र न्याय की भूख क¢ कारण ही हम यह जंग लड़ सक¢ ़इस जंग क¢ नुक्सान फायदे अपनी जगह हैं पर जिन अनुभव¨ं से हम गुजरे अ©र उसे महसूस कर ज¨ हासिल किया वह त¨ हम षायद हजार¨ं पुसक¨ं क¨ पढ़ कर भी हासिल नहीं कर सकते थे ़इस संस्मरण का उल्लेख कर मैं त¨ र¨मांचित ह¨ ही रहा हूं षायद राय साहब भी र¨मांचित हुए बिना नहीं रहेंगे ़

Tuesday, May 28, 2013

रामस्वरूप वर्मा समग्र की भूमिका

                 
प्रखर एवं प्रतिबध्द समाजवादी रामस्वरूप वर्मा आजादी  बाद भारतीय राजनीति में सक्रिय उस पीढ़ी क¢ राजनेता थे जिन्ह¨ंने विचारधारा अ©र व्यापक जनहित¨ं की राजनीति क¢ लिए अपना सर्वस्य अर्पित कर दिया ़बेषक वे अपने समय की राजनीति क¢ एक फिनाॅमिना (परिघटना)थे ़लगभग पचास साल तक राजनीति में सक्रिय रहे रामस्वरूप वर्मा क¨ राजनीति का कबीर कहा जाता है ़डाॅ॰ राममन¨हर लo¨हिया क¢ निकट सहय¨गी अ©र उनक¢ वैचारिक मित्र तथा १९६७ में उत्तर प्रदेष सरकार क¢ चर्चित वित्तमंत्री रामस्वरूप वर्मा जिन्ह¨ंने उस समय २॰ कर¨ड़ लाभ का बजट पेष कर पूरे आर्थिक जगत क¨ अचम्भित कर दिया ़उनका सार्वजनिक जीवन सदैव निश्कलंक,निडर,निश्पक्ष अ©र व्यापक जनहित¨ं क¨ समर्पित रहा ़राजनीति में ज¨ मर्यादाएं अ©र मानदंण्ड उन्ह¨ंने स्थापित किये अ©र जिन्हें उन्ह¨ंने स्वयं भी जिया उनक¢ लिए वे सदैव आदरणीय अ©र स्मरणीय रहेंगे ़बेषक उत्तर प्रदेष विधान सभा क¢ इतिहास में रामस्वरूप वर्मा मूल्य¨ं,सिध्दान्त¨ं,जनसर¨कार¨ं की राजनीति की एक मिसाल क¢ रूप में सदैव प्रेरणास्र¨त रहेंगे ़
         २२अगस्त १९२३ क¨ कानपुर्(वर्तमान कानपुर देहात) क¢ ग्राम ग©रीकरन क¢ एक किसान परिवार में जन्में रामस्वरूप ने राजनीति क¨ अपने  कर्मक्षेत्र क¢ रूप में छात्र जीवन में ही चुन लिया था बावजूद इसक¢ कि छात्र राजनीति में  उन्ह¨ंने कभी हिस्सा नहीं लिया ़उनकी प्रारम्भिक षिक्षा कालपी अ©र पुखरायां में हुई जहां से उन्ह¨ंने हाई स्कूल अ©र इंटर की परीक्षाएं उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण की ़वर्मा जी सदैव मेधावी छात्र रहे अ©र स्वभाव से अत्यन्त स©म्य,विनम्र,मिलनसार पर आत्मस्म्मान अ©र स्वभिमान उनक¢ व्यक्तित्व में कूट-कूट कर भरा हुआ था उन्ह¨ंने १९४९ में इलाहाबाद विष्वविद्यालय हिन्दी में एम॰ए॰ अ©र इसक¢ बाद कानून की डिग्री हासिल की ़उन्ह¨ंने भारतीय प्रषासनिक सेवा की परीक्षा भी उत्तीर्ण की अ©र इतिहास में सवर्¨च्च अंक पाये जबकि पढ़ाई में इतिहास उनका विशय नहीं रहा ़पर न©करी न करने दृढ़ निष्चय क¢ कारण साक्षात्कार में षामिल नहीं हुए ़इनक¢ पिता का नाम वंषग¨पाल था ़वर्मा  जी अपने चार भाइय¨ं में सबसे छ¨टे थे ़अन्य तीन भाई गांव में खेती किसानी करते थे पर उनक¢ सभी बड़े भाइय¨ं ने वर्मा जी की पढ़ाई लिखाई पर न सिर्फ विषेश ध्यान दिया बल्कि अपनी रुचि क¢ अनुसार कर्मक्षेत्र चुनने क¢ लिए भी प्र¨त्साहित किया ़पढ़ाई क¢ बाद सीधे राजनीति में आने पर परिवार ने कभी आपत्ति नहीं की बल्कि हर सम्भव उन्हें प्र¨त्साहन अ©र सहय¨ग दिया ़सर्वप्रथम वे १९५७ में स¨षलिस्ट पार्टी से भ¨गनीपुर विधानसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेष विधान सभा क¢ सद्स्य चुने गये,उस समय उनकी उम्र मात्र ३४ वर्श की थी ़१९६७ में संयुक्त स¨षलिस्ट पर्टी से,१९६९ में निर्दलीय,१९८॰,१९८९ में ष¨शित समाजदल से उत्तर प्रदेष विधान सभा क¢ सदस्य चुने गये ़१९९१ में छठी बार ष¨शित समाजदल से विधान सभा क¢ सदस्य निर्वाचित हुए ़जनान्द¨लन¨ं में भाग लेते हुए वर्मा जी १९५५,१९५७,१९५८,१९६॰,१९६४,१९६९,अ©र १९७६ में १८८ आई॰पी॰सी॰की धारा ३ स्पेषल एक्ट धारा १४४ डी॰ आई॰ आर॰ आदि क¢ अन्तर्गत जिला जेल कानपुर,बांदा,उन्नाव,लखनऊ तथा तिहाड़ जेल दिल्ली  में राजनैतिक बन्दी क¢ रुप में सजाएं भ¨गीं ़वर्मा जी ने १९६७-६८ में उत्तर प्रदेष की संविद सरकार में वित्तमंत्री क¢ रूप में २॰ कर¨ड़ क¢ लाभ का बजट पेष कर पूरे आर्थिक जगत क¨ अचम्भे में डाल दिया ़बेषक संविद सरकार की यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी ़कहा जाता है कि एक बार सरकार घाटे में आने क¢ बाद फायदे में नहीं लाया जा सकता है,अधिक से अधिक राजक¨शीय् घाटा कम किया जा सकता है ़दुनिया क¢ आर्थिक इतिहास में यह एक अजूबी घटना थी जिसक¢ लिए विष्व मीडीया ने वर्मा जी से साक्षात्कार कर इसका रहस्य जानना चाहा ़संक्षिप्त जबाब में त¨ उन्ह¨ंने यही कहा कि किसान से अच्छा अर्थषास्त्री अ©र कुषल प्रषासक क¨ई नहीं ह¨ सकता क्य¨ंकि लाभ-हानि क¢ नाम पर ल¨ग अपना व्यवसाय बदलते रहते हैं पर किसान सूखा-बाढ़ झेलते हुए भी किसानी करना नहीं छ¨ड।ता ़वर्मा जी भले ही डिग्रीधारी अर्थषास्त्री नहीं थे पर किसान क¢ बेटे ह¨ने का ग©रव उन्हें प्राप्त था ़बाबजूद इसक¢ कि वर्मा जी ने कृशि,सिंचाई,षिक्षा,चिकित्सा,सार्वजनिक निर्माण जैसे तमाम महत्वपूर्ण विभाग¨ं क¨ गत वर्श से डेढ़ गुना अधिक बजट आवंटित किया तथा कर्मचारिय¨ं क¢ मंहगाई भत्ते में वृध्दि करते हुए फायदे का बजट पेष किया ़
       अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करते करते वर्मा जी समाजवादी विचारधारा क¢ प्रभाव में आगये थे अ©र डा0ॅल¨हिया क¢ नेतृत्व में संयुक्त स¨षलिस्ट पार्टी में षामिल ह¨गये ़डाॅ॰ राममन¨हर ल¨हिया क¨ अपनी पार्टी क¢ लिए एक युवा विचारषील नेतृत्व मिल गया जिसकी तलाष उन्हें थी ़डा॰ ल¨हिया क¨ वर्मा जी क¢ व्यक्तित्व की सबसे महत्वपूर्ण बात यह लगी कि उनक¢ पास एक विचारषील मन है,वे संवेदनषील हैं,उनक¢ विचार¨ं में म©लिकता है,इन सबसे बड़ी बात यह थी किसान परिवार का यह न©जवान प्र¨फ¢सरी अ©र प्रषासनिक रुतबे की न©करी से मुंह म¨ड़ कर राजनीति क¨ सामाजिक कर्म क¢ रूप में स्वीकार कर रहा है ़डाॅ0ल¨हिया क¨ वर्मा जी का जिन्दगी क¢ प्रति एक फकीराना नजरिया अ©र निस्वार्थी-ईमानदार तथा विचारषील व्यक्तित्व बहुत भाया अ©र उनक¢ सबसे विष्वसनीय वैचारिक मित्र बन गये क्य¨ंकि वर्मा जी भी डा॰ ल¨हिया की तरह देष अ©र समाज क¢ लिए कबीर की तरह अपना घर फूंकने वाले राजनैतिक कबीर थे ़वर्मा जी अपने छात्र जीवन में आजादी की लड़ाई क¢ चष्मदीद गवाह रहे पर उसमें हिस्सेदारी न कर पाने का मलाल उनक¢ मन में था इसीलिए भारतीय प्रषासनिक सेवा की रुतबेदार न©करी क¨ लात मार कर राजनीति क¨ देष सेवा का माध्यम चुना अ©र राजनीति भी सिध्दान्त¨ं अ©र मूल्य¨ं की ़उन्ह¨ंने उत्तर प्रदेष विधान सभा क¢ लिए पहला चुनाव १९५२ में भ¨गनीपुर चुनाव क्षेत्र से एक वरिश्ठ कांगे्रसी नेता रामस्वरूप गुप्ता क¢ विरुध्द लड़ा अ©र महज चार हजार मत¨ं से वे हारे पर १९५७ क¢ चुनाव में उन्ह¨ंने रामस्वरूप गुप्ता क¨ पराजित किया ़उनक¢ प्रतिद्वन्दी रामस्वरूप गुप्ता ज¨ उम्र में उनक¢ पिता तुल्य थे अ©र धनाढ्य कंागे्रस क¢ वरिश्ठ नेता थे ़गुप्ता जी ने वर्मा जी से कहा कि रामस्वरूप अभी तुम न©जवान ह¨ अ©र गरीब किसान परिवार से ह¨, राजनीति में बहुत पैसा खर्च ह¨ता है अ©र तमाम दांव-पेंच अजमाये जाते हैं ़तुम्हारे जैसे भले अ©र गरीब ल¨ग¨ं क¢ लिए यह राजनीति का कर्म उपयुक्त नहीं है ़चाह¨ त¨ प्र¨फ¢सरी बगैरह तुम्हे मिल सकती है अ©र इसमें मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं ़पर वर्मा  जी नहीं डिगे अ©र आगामी १९५७ में रामस्वरूप गुप्ता क¨ हरा कर विधान सभा पहुंचे अ©र यह सिध्द कर दिया कि राजनीति सिर्फ धनवान¨ं का खेल नहीं है बल्कि किसान¨ं अ©र मजदूर¨ं क¢ बेटे भी वहां पहुंच कर अपने वर्ग क¢ हित¨ं क¨ प्रभावषाली ढंग से रख सकते हैं ़
     उन्हें राजनीति में स्वार्थगत समझ©ते अ¨हद¨ं की द©ड़ से सख्त नफरत थी ़उनका ध्येय एक ऐसे समाज की संरचना करना था जिसमें हरक¨ई पूरी मानवीय गरिमा क¢ साथ जीवन जी सक¢ ़वे सामाजिक आर्थिक,सामाजिक राजनैतिक न्याय क¢ साथ साथ सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक अ©र सांस्कृतिक बराबरी क¢ प्रबल य¨ध्दा थे अ©र इसक¢ लिए वे चतुर्दिक क्रान्ति अर्थात सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक अ©र सांस्कृतिक क्रान्ति की लड़ाई एक साथ लड़े जाने पर ज¨र देते थे ़वर्मा जी ने १९६९ में अर्जक संघ का गठन किया अ©र अर्जक साप्ताहिक का सम्पादन अ©र प्रकाषन प्रारंभ किया ़अर्जक संघ अपने समय का सामाजिक क्रान्ति का एक ऐसा मंच था जिसने अंधविष्वास पर न सिर्फ हमला किया बल्कि उत्तर भारत में महाराश्ट्र अ©र दक्षिण भारत की तरह सामाजिक न्याय क¢ आन्द¨लन का बिगुल फूंका ़उन्हें उत्तर भारत का अंम्बेडकर भी कहा गया ़मंगलदेव विषारद अ©र महाराज सिंह भारती जैसे तमाम समाजवादी वर्मा जी क¢ इस सामाजिक न्याय क¢ आन्द¨लन से जुड़े अ©र अर्जक साप्ताहिक में क्रान्तिकारी वैचारिक लेख प्रकाषित हुए ़उस समय क¢ अर्जक साप्ताहिक का संग्रह विचार¨ं का महत्वपूर्ण दस्तावेज है ़उत्तर प्रदेष में सामाजिक बदलाव की जिस जमीन पर मायावती अ©र मुलायम सिंह सत्ता की राजनीत कर रहे हैं अ©र अपनी अपनी सरकारें उसी ब्राह्मणवादी ढर्रे पर चला रहे हैं,इस सामाजिक अ©र राजनैतिक चेतना की पृश्ठभूमि वर्मा जी ने अर्जकसंघ क¢ आन्द¨लन क¢ जरिये तैयार की थी पर उन्हें दुख था सपा अ©र बसपा ने ब्राह्मणवाद अ©र कापर्¨रेट ताकत¨ं से गठज¨ड़ कर जनता क¨ ध¨खा दिया अ©र सामाजिक न्याय क¢ आन्द¨लन क¨ नुक्सान पहुंचया ़वी॰पी॰ सिंह ने भले ही सामाजिक न्याय क¢ लिए अपनी सरकार कुरबान की ह¨ पर मायावती अ©र मुलायम सिंह सत्ता क¢ लिए ब्राह्मणवाद से गठज¨ड़ ही करते रहे ़
                 वर्मा जी ने “क्रांन्ति क्य¨ं अ©र कैसे“,ब्राह्मणवाद की षव परीक्षा,अछूत समस्या अ©र समाधान,ब्राह्मणण महिमा क्य¨ं अ©र कैसे?मनुस्मृति राश्ट्र का कलंक,निरादर कैसे मिटे,अम्बेडकर साहित्य की जब्ती अ©र बहाली,भंडाफ¨ड़,मानववादी प्रष्न¨त्तरी। जैसी महत्वपूर्ण पुस्तक¢ं लिखी ज¨ अर्जक प्रकाषन से प्रकाषित हुई़ं ़ महाराज सिंह भारती अ©र रामस्वरूप वर्मा की ज¨ड़ी “माक्र्स अ©र एंगेल “ जैसे वैचारिक मित्र¨ं की ज¨ड़ी थी अ©र द¨न¨ं का अन्दाज बेबाक अ©र फकीराना था ़द¨न¨ं किसान परिवार क¢ थे अ©र द¨न¨ं क¢ दिल¨ं में गरीबी ,अपमान अन्याय अ©र ष¨शण की गहरी पीड़ा थी ़महाराज सिंह भारती ने सांसद क¢ रूप में पूरे विष्व का भ्रमण कर दुनिया क¢ किसान¨ं अ©र उनकी जीवन पध्द्ति का गहन अध्ययन किया अ©र उन्ह¨ंने महत्वपूर्ण पुस्तक¢ं लिखी “़सृश्टि अ©र प्रलय“ उनकी पुस्तक डार्विन की “आॅरजिन आॅफ स्पसीज “ की टक्कर की सरल हिन्दी में लिखी गयी पुस्तक है ज¨ आम आदमी क¨ यह बताती है कि यह दुनिया कैसी बनी ? अ©र यह भी बताती है कि इसे ईष्वर ने नहीं बनाया है बल्कि यह स्वतः कुदरती नियम¨ं से बनी है अ©र इसक¢ विकास में मनुश्य क¢ श्रम की अहम भूमिका है ़उनकी “ ईष्वर की ख¨ज“ अ©र भारत का निय¨जित दिवाला जैसी अनेक विचार परक पुस्तक¢ं हैं ज¨ अर्जक प्रकाषन से प्रकाषित हुई हैं ़इन द¨न¨ं महापुरुश¨ं का साहित्य आज क¢ द©र में हमारी महत्वपूर्ण चेतना षक्ति ह¨ सकती है जब हम कापर्¨रेट पूंजी अ©र ब्राह्मणवाद क¢ षिकंजे में कसते जा रहे हैं ़
           बिहार क¢ लेनिन कहे जाने वाले जगदेव बाबू ने वर्मा जी क¢ विचार¨ं अ©र उनक¢ संघर्शषील व्यक्तित्व से प्रभावित ह¨कर ष¨शित समाज दल का गठन किया ़जगदेव बाबू क¢ राजनेतिक संघर्श से आंतकित ह¨कर उनक¢ राजनैतिक प्रतिद्वन्दिय¨ं ने उनकी हत्या करा दी ़जगदेव बाबू की षहादत से ष¨शित समाज दल क¨ गहरा आघात लगा पर सामाजिक क्रान्ति की आग अ©र तेज हुई ़जगदेव बाबू बिहार क¢ पिछड़े वर्ग क¢ किसान परिवार से थे अ©र वर्मा जी की तरह वे भी अपने संघर्श क¢ बूते बिहार सरकार मंत्री रहे ़वर्मा जी का संपूर्ण जीवन देष अ©र समाज क¨ समर्पित था ़उन्ह¨ंने “जिसमें समता की चाह नहीं/वह बढि़या इंसान नहीं ,समता बिना समाज नहीं /बिन समाज जनराज नहीं जैसे कालजयी नारे गढ़े ़राजनीति अ©र राजनेता क¢ बारे में एक साक्षात्कार में दिया गया उनका बयान ग©र तलब है ़राजनीति क¢ बारे में उनका मानना है कि यह षुध्दरूप से अत्यन्त संवेदनषील सामाजिक कर्म है अ©र एक अच्छे राजनेता क¢ लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसे देष अ©र स्थानीय समाज की समस्याअ¨ं की गहरी अ©र जमीनी समझ ह¨ अ©र उनक¢ हल करने की प्रतिबध्द्ता ह¨ ़जनता अपने नेता क¨ अपना आदर्ष मानता है इसलिए सादगी,ईमानदारी ,सिध्दान्तवादिता क¢ साथ-साथ कर्तब्यनिश्ठा निहायत जरूरी है ़वर्मा जी ने विधायक¨ं क¢ वेतन बढ़ाये जाने का विधान सभा में हमेषा विर¨ध किया अ©र स्वयं उसे कभी स्वीकार नहीं किया ़वर्मा जी ने संविद सरकार में सचिवालय से अंगे्रजी टाइप राइटर्स हटवा दिये अ©र पहली बार हिन्दी में बजट पेष किया ज¨ परंपरा अब बरकरार ़वर्मा जी ने बजट में खण्ड-६का समावेष किया जिसमें प्रदेष क¢ कर्मचारिय¨ं/अधिकारिय¨ं का लेखा ज¨खा ह¨ता है,इसक¢ पहले सरकारें कर्मचरिय¨ं क¢ बिना किसी लेखे -ज¨खे क¢ अपने कर्मचारिय¨ं क¨ वेतन देती थी ़वर्मा जी क¢ चिन्तन में समग्रता थी ़उन्ह¨ंने क्रन्ति क¨ परिभाशित करते हुए कहा कि क्रान्ति ,“जीवन क¢ पूर्व निर्धारित मूल्य¨ं का जनहित में पुनिर्धारण करना है क्रान्ति है “। उनक¢ विचार म©लिक ह¨ते हैं पर वे बाबा साहब डा॰ अम्बेडकर ,चारवाक,कार्ल माक्र्स अ©र ग©तम बुध्द क¢ विचार¨ं से प्रभावित थे पर कहीं कहीं इनसे असहमत भी थे ़यही बेबाकी उनकी खासियत थी ़आज उनक¢ विचार¨ं की हमें बेहद जरूरत है अ©र उनकी प्रासांगिकता पहले से कहीं अधिक है क्य¨ंकि पूरा देष एक दिषाहीन राजनीति क¢ पतन क¢ गहरे गढ्डे की अ¨र जा रहा है ़मुलायम सिंह का कापर्¨रेट पूॅजीवाद अ©र परिवारवाद अ©र मायावती का भ्रश्टाचारयुक्त ब्राह्मणवादी अम्बेडकरवाद की हताषा भरे इस द©र्  उनक¢ विचार हमारा बहुत बड़ा बल हैं ़राजनीत क¢ इस कबीर क¨ उनक¢ 90वें जन्म दिवस पर उनक¢ समग्र लेखन का प्रकाषन हमारे लिए एक सुखद उपलब्धि है ़        
    वर्मा जी का समग्र लेखन द¨ खण्ड¨ं में प्रकाषित ह¨ता देख मुझे बेहद प्रसन्नता ह¨ रही है ़इस विचारहीनता अ©र विकल्पहीनता क¢ द©र में इसकी बहुत आवष्यकता थी ़ष¨शित वर्ग की उसकी मुक्ति का सबसे बड़ा हथियार विचार ही है अ©र वर्मा जी का समग्र राजनैतिक-सामाजिक संघर्श अ©र लेखन इस ष¨शित वर्ग की मुक्ति क¨ समर्पित रहा है ़उनका समग्र लेखन अ©र उनकी तर्क अधारित वैचारिकी महज पुस्तकालय¨ं अ©र पुस्तकीय ज्ञान की उत्पत्ति नहीं है बल्कि यह सब उनक¢ राजनैतिक अ©र सामाजिक कर्म की प्रय¨गषाला में व्यवहार क ¢परीक्षण में तप कर ही निकले हैं ़वे हमेषा अपने विचार¨ं क¢ खिलाफ तर्कसंगत बहस क¢ लिए सदैव तैयार रहते थे ़“मानववादी प्रष्न¨त्तरी“ उनकी पुसतक इसकी एक मिसाल है जिसमें दुनिया भर क¢ ल¨ग¨ं से पूछे प्रष्न¨ं क¢ उनक¢ द्वारा दिये गये जबाब संकलित हैं ़वे चुनाव हारे या जीतें पर अपने सिध्दान्त¨ं पर हमेषा अडिग रहे ़राजनीति उनक¢ लिए सदैव  एक मिषन रहा जिसका लक्ष्य था हर तरह की गैर बराबरी क¨ समाप्त कर समतामूलक समाज की स्थापना करना है ़वर्मा जी ने बाबासाहब डाॅ0 अम्बेडकर क¢ सामाजिक क्रान्ति क¢ आन्द¨लन क¨ आगे बढ़ाया जिसे कांषीराम अ©र मायावती ने सत्ता की राजनीत का अ©जार का बना कर ब्राहमणबाद क¢ जाल में फंसा दिया जिसक¢ डाॅ0 अम्बेडकर सदैव लड़ते रहे ़यह महत्वकंाक्षी य¨जना कैसे मैं पूरी कर सका इसक¢ लिए मुझे स्वयं बेहद अचरज ह¨ रहा है ़क्य¨ंकि वर्मा जी क¢ निकट रहे राजनैतिक ल¨ग¨ं से जब भी इस कार्य क¢ बारे में कहा त¨ या त¨ उन्ह¨ंने उदासीनता दिखाई या फिर इसे बहुत महत्व नहीं दिया ़मैं ने वर्मा जी समग्र साहित्य न सिर्फ पढ़ा था बल्कि उनक¢ जीवन काल में ही उस पर गहन विवेचना भी की है़ ़वर्मा जी मेरे माक्र्सावादी नजरिये से भलीभाॅति वाकिफ थे इसलिए मेरे तर्क वे बड़े ध्यान से सुनते थे अ©र अपनी सहमति-असहमति भी देते थे ़मेरे कुछ लेख भी अर्जक साप्ताहिक में प्रकाषित हुए ़मैं उनकी यात्राअ¨ं में उनका सहयात्री भी रहा ़मुझे कहने में क¨ई संक¨च नहीं है कि वर्मा जी क¢ स्नेह अ©र सान्निध्य का मुझ पर गहरा प्रभाव है ़मैं ने जिन विचारक¨ं क¨ पढ़ा था जैसे माकर््स अ©र अम्बेडकर उनकी छाया मुझे वर्मा जी में दिखती थी ़वे अक्सर कहते थे कि भारतीय कम्युनिस्ट अपने क¨ डिकास्ट अ©र डिक्लास नहीं कर पाये अ©र भारतीय परिप्रेक्ष्य में माक्र्सवाद क¨ वैचारिक स्वरूप नहीं दे पाये जैसा ह¨ चीमिन्ह अ©र माअ¨ ने चीन अ©र कास्ट्र¨ ने क्यूबा में दिया ़ये सब रूस अ©र चीन की तरफ देखते रहे अ©र वक़्त वेक़्त सत्ताधारी दल¨ं क¢ पिछलग्गू ह¨ गये ़ वर्मा  जी  कार्ल  माकर््स क¢ द्वन्द्वात्मक भ©तिकवाद क¢ प्रबल समर्थक थे अ©र वह उनक¢ दार्षनिक चिन्तन का आधार भी रहा ़तभी वे ब्राहमणवाद पर इतना करारा प्रहार कर पाये ़वे ब्राह्मणवाद अ©र पूॅजीवाद क¨ सर्वहारा का बराबर का दुष्मन मानते थे बल्कि कई मायने में ब्राह्मणवाद क¨ ज्यादा खतरनाक मानते थे क्य¨ंकि अपने स्वार्थ क¢ लिए पूॅजी उदार ह¨ सकती है पर ब्राह्मणवाद दिमागी गुलामी से कभी मुक्त नहीं करता ़एक जगह वे माक्र्स क¨ क¨ट करते हुए लिखते हैं “चूंकि सर्वहारा वर्ग अपने प्रति निकृश्ट व्यवहार वर्दास्त करने क¨ तैयार नहीं है इसलिए उसका साहस, आत्मविष्वास,स्वाभिमान अ©र स्वाधीनता की भावना भ¨जन अ©र र¨टी से ज्यादा जरूरी है ़“ इसे उन्ह¨ंने तन की भूख र¨टी अ©र मन की भूख इज्जत क¢ रूप में परिभाशित किया ़
 मैं आभारी हूॅ अपने आदरणीय अग्रज सम्यक प्रकाषन क¢ प्र¨पराइटर षान्तिस्वरूप जी का जिन्ह¨ंने न सिर्फ रामस्वरूप वर्मा समग्र प्रकाषन में गहरी रुचि दिखाई बल्कि मेरा उत्साह बर्धन भी किया ़उनका कहना था कि वे त¨ इस काम क¨ करने क¢ लिए व्य्ाग्र ही थे पर उनक¢ पास सन्दर्भित सामग्री का अभाव था जिसे मैने पूरा किया ़इस काम में मेरी सबसे अधिक मदद की बड़े भाई दयानाथ निगम जी ने ़उन्ह¨ंने मेरे काम क¨ बेहद अहमियत दी अ©र पूरा सहय¨ग दिया ़वे भी वर्मा जी क¢ निकट ल¨ग¨ं में रहे है ़वे प्रूफ रीडिंग से लेकर दिल्ली की भागद©ड़ में अपनी अस्वथता क¢ बावजूद मेरे कदम से कदम मिला कर मेरे साथ चले ़उन्हें भी इसक¢ प्रकाषन से उतनी ही खुषी जितनी मुझे है ़उन्ह¨ंने मेरे सम्पादकत्व में अपनी मासिक पत्रिका “अम्बेडकर इन इण्डिया“ का रामस्वरूप वर्मा विषेशांक भी प्रकाषित किया था जिसने पर्याप्त ल¨कप्रियता हासिल की ़रामस्वरूप वर्मा क¢ प्रथम खण्ड में       पुस्तक¢ं संकलित हैं ़उम्मीद है परिवर्तनकामी जनता अ©र जनषक्तिय¨ं क¢ लिए वर्मा


Thursday, May 23, 2013


                                               एषिया का न्यूयार्क सिंगापुर
                                                                                 भगवान स्वरूप  कटियार
 सिंगापुर हमें अपनी तमाम विषेशताअ¨ं क¢ लिए आकर्शित करता रहा है . इसीलिए मैंने अपनी अमेरिका यात्रा स्थगित कर सिंगापुर का टूर प्लैन किया . मात्र ६९२ कि॰ मी॰ क्षेत्र्ाफल में फैला एक छ¨टा सा देष ज¨ अपने गहरे समन्दर वाले दुनिया क¢ सबसे बड़े बन्दरगाह क¢ रूप में जलपरिवाहन अ©र वैष्विक व्यापार का क¢न्द्र बना हुआ है . भ्रश्टाचार से मुक्त अ©र पूरे देष में स्थिर एक जैसी कीमत¨ं क¢ लिए पूरी दुनिया में सिंगापुर ने एक अलग पहचान बनायी है ़मलेषिया से सिंगापुर सड़क मार्ग से आते हुए सिंगापुर चेकप¨स्ट क्रास करते ही कई हिदायतें हमारे टूर मैनेजर ने सिंगापुर की जीवन षैली क¢ बारे में दी थीं . मसलन सिंगापुर इज अ फाइन सिटी . अर्थात सिंगापुर एक खुबसूरत सिटी स्टेट ह¨ने क¢ साथ साथ कानून कायदे क¢ उल्लंघन में फाइन लगाने क¢ लिए भी मषहूर। है इस मायने में वह अपने देषवासिय¨ं अ©र मेहमान सैलानिय¨ं क¢ साथ क¨ई भेद्भाव नहीं करता है .यहां पर ड्रिंक करने अ©र सिगरेट पीने क¢ अलग ज¨न है़ कुछ् जगह¨ं पर खास कर कैसिन¨ं में जाने क¢ ड्रेसक¨ड तक सुनिष्चित है सिंगापुर क¢ विलेज लैण्डमार्क ह¨टल में षाम ३ बजे लगेज रखने क¢ बाद फ्रेष ह¨कर ल¨कल टूर क¢ लिए निकल पड़े जहां सबसे पह्ले रिसैप्सन पर हमारे स्वागत क¢ लिए म©जूद थे हमारे गाइड मिस्टर इर¨ज़ .टूर मैनेजर हिना खान नेे गाइड मिस्टर इर¨ज से हमारा परिचय कराया . इर¨ज इटैलियन है अ©र ग¨रे चिट्टे आकर्शक व्यक्तित्व क् ¢धनी ह¨ने क¢ साथ साथ बेहद षालीन अ©र सहय¨गी . भ्रमण क ¢द©रान बड़ी से बड़ी अ©र छ¨टी से छ¨टी चीज¨ं क¨ इतने सहज ़ढंग से बताते थे कि समझना बेहद आसान ह¨ता था . उनक¨ मिस करना हर किसी क¢ लिए बहुत स्वाभाविक है ़
   वर्श १९६५ में सिंगापुर स्वतंत्र राज्य बना . इसक¢ पहले वह मलेषिया का हिस्सा था . कहा जाता है कि सिंगापुर क¨ मछुआर¨ं अ©र समुद्री लुटेर¨ं ने बसाया था .द्वितीय विष्व युध्द क¢ द©रान १९४२ से १९४५ तक जापान क¢ अधिन भी रहा . सिंगापुर में ही नेताजी सुभाश चन्द्र ब¨स ने अपनी आजाद हिन्द फ©ज क¢ साथ भारत क¢ स्वतंत्रता की घ¨शणा की थी ।  इसक¢ पूर्व सिंगापुर डच उपनिवेष भी रहा. पर बाद में यह ब्रिटिष इंडिया कंपनी की एषियाई गतिविधिय¨ं का प्रमुख क¢न्द्र भी रहा .च©दहवीं षताब्दी तक सिंगापुर सुमात्रा राज्य का सीमावर्ती हिस्सा रहा .विलेज लैण्डमार्क ह¨टल अ©र उसक¢ आसपास विलेज जैसा कुछ भी नहीं था . विलेज क¢ भ¨लेपन का व्यवसायिक इस्तेमाल इतना ह¨ रहा है कि अ¨लम्पिक विलेज जैसे फाइब स्टार जगह¨ं में इसका भरपूर इस्तेमाल हुआ जहां विलेजर ( ग्रामवासी ) क¢ लिए क¨ई जगह नहीं ह¨ती है .सिंगापुर दुनियां क¢ समृध्द देष¨ं में है अ©र ट्रांसपैरेन्सी इंटरनेषनल क¢ करप्सन परसैप्सन इन्डेक्स में टाप टैन देष¨ं में से एक है ़ डैम¨क्रेटिक देष ह¨ते हुए भी वहां भ्रश्टाचार नहीं है अ©र अपराधमुक्त देष है.इसीलिए इसे सेफ¢स्ट कंट्री कहा जाता है ़ यहां लगभग ७५ प्रतिषत आबादी चाइनीज ल¨ग¨ं की है अ©र लगभग १४ -१५ प्रतिषत मलेषियायी हैं तथा लगभग ९ प्रतिषत भारतीय ( साउथ इंडियन ) हैं ़ यहां की आबादी मात्र ५॰ लाख क¢ आसपास है अ©र साक्षरता दर ९५ प्रतिषत क¢ आसपास . यहां मात्र १३१ कि॰ मी॰ लम्बी रेलवे लाइन है अ©र ३१६५ कि॰ मी॰ लंबाई की सड़क¢ हैं . यह एक ऐसा आइसलैण्ड है जिसका अधिकतम हिस्सा समुद्र से घिरा है जहां क¨ई कृशि भूमि नहीं है . यह पूरी तरह अरबन स्टेट है सिंगापुर नदी सिंगापुर क¨ द¨ हिस्स¨ं में बांटती है . दक्षिणी हिस्से में सी बी डी अ©र चाइना टाउन आता है अ©र उत्तरी हिस्से में क¨ल¨नियल जिला आता है ़ पूरब में २॰ कि॰मी॰ की दूरी पर सिंगापुर का अत्याधुनिक एयरप¨र्ट है अ©र कई क¨स्टल पार्क हैं ़सिंगापुर का मध्य क्षेत्र घना जंगल है जहां बड़े क्षेत्र में फैला चिडि़याघर है ़ उत्तरी सिंगापुर में अनेक एतिहासिक इमारतें अ©र दर्षनीय स्थल हैं ़यहां विक्ट¨रिआ कंसर्ट हाल,अ¨ल्ड पार्लियामेंट ,सेन्ट एन्ड्रूज कैथड्रल सिटी हाल अ©र अ¨ल्ड सुप्रीम क¨र्त है ़ यहां एषियन सिविलीजेसन संग्रहालय भी है ़    
  सिंगापुर क¢ सेन्ट¨सा आइस्लैण्ड में यूनीवर्सल स्टूडिय¨ देखते हुए लग रहा था मान¨ं हम पेरिस का डिजनीलैण्ड घूम रहे ह¨ं ़ यूनीवर्सल स्टूडिय¨ देखने क ¢लिए जाते वक़्त सिंगापुर वह बन्दरगाह भी देखा ज¨ गहरे समुद्रवाला दुनिया का सबसे बड़ा बनदरगाह है। ़यहां हजार¨ं जहाज र¨ज आते जाते हैं ़ यूनीवर्सल स्टूडिय¨ लगभग २ कि॰मी॰ क¢ क्षेत्र फल में फैली स्वयं में एक अन¨खी दुनियां है ़ एषिया क¢ एक छ¨टे से देष का यह अत्याधुनिक स्टूडिय¨ य¨रुप अ©र अमेरिका की तकनीकी क¨ चुन©ती देता है। ़ यहां थियेटर , अम्यूजमेन्ट्पार्क ,वाटरस्प¨र्ट  फ¨र डी थियेटर ,षाप्स ,दुनिया क¢ तमाम देष¨ं क¢ इतिहास अ©र संस्कृति की जीवन्त प्रस्तुति अ©र प्रकृति का नैसर्गिक स¨न्दर्य हरी हरी मखमली घास , रंगबिरंगे फूल अ©र बड़े बड़े बृक्ष¨ं की छाया में आराम फरमाते सैलानी अ©र धमाल मचाते बच्चे एक र¨मांचक अ©र सुखद दुनिया का अहसास दिला रहे थे़ ़यूनीवर्सल स्टूडिअ¨, सिंगापुर सरकार क¢ पर्यटन राजस्व का एक बड़ा स्र¨त है साथ ही सिंगापुर की षान भी  ़सिंगापुर का लिटिल इंडिया देखे बिना सिंगापुर की यात्रा अधूरी कही जायेगी  ़यह कई मायने में महत्वपूर्ण है  ़यह दक्षिण भारतीय¨ं की बसाई अपनी अनूठी दुनिया है ज¨ सिंगापुर की कुल जनसंख्या का १॰ प्रतिषत है ़ यह भारतीय¨ं क¢ पराक्रम अ©र समृध्दि क¨ दर्षाता है ़मुस्तफा माल यहां बहुत मषहूर है ज¨ च©बीस¨ घंटे खुला रहता है  ़इसक¢ मालिक मुस्तफा भारतीय हैं ज¨ सिंगापुर क¢ संपन्न ल¨ग¨ं में हैं ़ लिटिल इंडिया घूमते हुए चेन्नई अ©र त्रिवेन्द्रम में घूमने का आभास ह¨ता है ़यहां हिन्दुअ¨ं क¢ भव्य मन्दिर बहुतायत संख्या में हैं ़यहां काली मां वीरमाकलिम्मा मन्दिर बहुत मषहूर है ़ यहां षाक्यमुनि बुध्द गया मन्दिर भी है ़लिटिल इंडिया का कैम्पांग ग्लाम इलाका मुस्लिम आबादी  इलाका है अ©र यहां की सुल्तान मस्जिद बहुत मषहूर है ़          
    सिंगापुर की गगनचुम्बी इमारतें अ©र ल¨ग¨ं की कार्यषैली न्यूयार्क का अहसास दिलाता है जहां से व्यापार की पूरी दुनिया संचालित ह¨ती है  ़ यहां की सड़क¢ं ,बिजली ,ट्रांसप¨र्ट अ©र कानून व्य्वस्था आष्चर्यजनक है ़ सिंगापुर में बगैर पुलिस का प्रषासन है पर कहीं भी बदइंतजामी अ©र लापरवाही देखने क¨ नहीं मिली ़ सब जगह कैमरे लगे हैं अ©र जगह जगह कंट्र©लरूम बने हैं जहां से व्यवथा पर नजर रखी जती है  बस गलती की क¨ई माफी नहीं है, जुर्माना या सजा तुरन्त ह¨ता है ़ इसक¢ लिए किसी क¨ बख्षा नहीं जाता अ©र ना ही क© भेदभाव ही किया जाता है ़एक जगह अंगे्रजी में लिखा था “ल¨ क्राइम डज नाट मीन न¨ क्राइम, न¨ क्राइम मीन्स एबसलूटली न¨ क्राइम “ ़ यहां की कानून व्यवस्था ब्रिटिष कानून द्वारा संचालित ह¨ती है ़सिंगापुर का नक्सा एक अमेरिकन  आर्कीटेक्ट सर टामस रैफल्स ने तैयार किया था ़ वह १८१९ में यहां आय था ,उस समय सिंगापुर ब्रिटिष उपनिवेष मलायका का हिस्सा था ़ आज भी सिंगापुर रैफल क¢ नाम पर एक मषहूर ह¨टल रैफल मैराइन ह¨टल है जिसमें ठहरना किसी क¢ लिए भी गर्व की बात है ़ वहीं पर रैफल की प्रतिमा भी बनी हुई है ़यहीं कुछ दूरी पर नदी क¢ किनारे  मैराइन लायन स्क़ायर भी है जहां एक षेर की स्टेचू है जिसका निचला हिस्सा मछली है अ©र उस फब्बारे से पानी  की बूंदे सैलानिय¨ं क¨ नैसर्गिक स©न्दर्य से सराब¨र करती रहती हैं ़रात में यहां र¨षनी में नहाये इस सारे खुबसूरत नजारे का दृष्य सैलानिय¨ं क¨ बेहद र¨मांचित करता है ़ बालीवुड अ©र हालीवुड द¨न¨ फिल्म इंड्स्ट्रीज यहां फिल्म षूटिंग क¢ लिए आते हैं ़
       सिंगापुर का जुरांग बर्ड पार्क परिन्द¨ं  का अद्भुत संसार है  ़ यहां दुनियां में परिन्द¨ं की हर प्रजाति देखने क¨ मिलती है ़ मील¨ं फैले घने जंगल में यह जुरांग पार्क पूरे दिन घूमने पर भी पूरा नही देखा ज सकता ़ यहां घूमने क¢ लिए मेट्र¨ ट्रेन का इंतजाम किया गया है ़ यहां जगह जगह अ¨पेन एयर थियेटर भी हैं जहां परिन्द¨ं क¢ ष¨ ह¨ते हैं  ़ ट्रेनर क¢ कमांड पर परिन्दें अपने करतब दिखाते हैं ़ सिंगापुर क¢ सेन्ट¨सा आइसलैण्ड् में अ¨सिनेरियम भी समुद्री जीव जन्तुअ¨ं की अदभुत दुनियां है जिसमें घूमते हुए अ©र समुद्री जीव जन्तुअ¨ं से मिलते हुए ऐसा लग रहा था मान¨ं समुद्र में घूम रहे ह¨ं  ़ एक विस्तृत जगह में कांच की ऐसी दुनियां जिसमें पानी भरा अ©र उसमें समुद्री जीव घूम रहे अ©र हम एक सुृरंग में घूमते हुए यह सब देख रहे हैं ़षाम क¨ समुद्र क¢ किनारे रेत क¢ अ¨पेन थियेटर में “सांग आफ दि सी “ की प्रस्तुति ने त¨ हम सबका मन ही म¨ह लिया ़ अदभुत प्रस्तुति जिसे सिर्फ देख कर ही महसूस किया जा सकता है उसे षब्द¨ं में व्यक्त कर पाना संभव नहीं ़ इस प्रस्तुति क ¢लिए दुनिया भर क¢ कलाकार¨ं क¨ आमंत्रित किया जाता है ़ सेन्ट¨सा आइसलैण्ड का यह बहुत आकर्शक ष¨ था जिसे दुनिया भर से आय सैलानी देख कर मुग्ध ह¨ते हैं ़
         
 


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